बदल गए हैं NPS Withdrawal Rules जो कि है आपके हित में , जानिए क्या है बदला

आइये हम यहाँ सबसे पहले समझते है कि NPS क्या है और उसके क्या benefits है उसके बाद हम यहाँ यह विस्तारपूर्वक बताएँगे कि NPS withdrawal के वर्तमान नियम क्या है और नए नियम क्या है जिसमे कि सब्सक्राइबर्स का हित है।

NPS क्या है?

नेशनल पेंशन स्कीम (NPS)एक सरल और लाभकारी निवेश की एक लंबी अवधि की बचत योजना है जो भारत सरकार द्वारा प्रबंधित की जाती है। इसमें लोग नियमित installments जमा करते हैं जो उनके समृद्धि को बढ़ाने में मदद करता है। सामान्यत: एक व्यक्ति जो NPS में निवेश करना चाहता है , उसे स्वतंत्रता होती है कि वह कितनी installments जमा करना चाहता है और इसे कैसे निवेश करना चाहता है। निवेशक यहां एक Fund Manager को चुन सकते हैं जो उनके निवेशों का management करेगा।

एनपीएस एक सेवानिवृत्ति बचत योजना है जो कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित है।

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NPS के लाभ क्या हैं?

नियमित मासिक आय

जैसा की हम जानते है कि सभी कम्पनिया रिटायरमेंट के बाद पेंशन प्रदान नहीं करती, फलस्वरूप, रिटायरमेंट के बाद लोगो के पास नियमित मासिक आय प्राप्त करने का कोई जरिया नहीं होता ऐसे में NPS रिटायर्ड लोगो को सेवानिवृत्ति के बाद नियमित मासिक आय प्रदान करता है।

दीर्घकालिक निवेश

NPS एक दीर्घकालिक निवेश है जो व्यक्ति को लम्बी अवधि में सुरक्षित बचत का अवसर प्रदान करता है। यह विभिन्न विकल्पों के माध्यम से समृद्धि को बढ़ाने में मदद कर सकता है और निवेशकों को उनकी आवश्यकताओं और लक्ष्यों के अनुसार निवेश करने का स्वतंत्रता प्रदान करता है।

कर बचत

NPS निवेशकों को कर बचत का भी अवसर प्रदान करता है। निवेशक अपने निवेशों पर किए गए अंशदान को अपनी आय के अनुसार कर छूट के रूप में ले सकते हैं। यह एक और आकर्षक गुण है जो निवेशकों को इस योजना में आकर्षित करता है।

सुरक्षित और विश्वसनीय

NPS भारत सरकार द्वारा प्रबंधित होता है, जिससे इसे एक सुरक्षित और विश्वसनीय निवेश योजना बनाता है। इसमें निवेशकों की सुरक्षा के लिए विभिन्न नियम शामिल हैं।

बचत का अवसर

NPS निवेशकों को बचत का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है जिससे वे अपने भविष्य की योजना बना सकते हैं। यह आयु वृद्धि के समय के लिए एक सुरक्षित और स्थिर निवेश हो सकता है, जो व्यक्ति को उसके बाद के जीवन के लिए तैयार कर सकता है।

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का स्वतंत्रता

NPS निवेशकों को अपने portfolio को प्रबंधित करने के लिए स्वतंत्रता देता है। वे अपने निवेशों को विभिन्न विकल्पों में विभाजित कर सकते हैं और उन्हें सुधार सकते हैं जो उनकी आवश्यकताओं और लक्ष्यों के साथ मेल खाते हैं।

NPS के वर्तमान नियम क्या हैं?

निवेशकों को वर्तमान में उनकी NPS corpus का केवल 60% भाग मैच्योरिटी पर निकालने का अधिकार है, जबकि शेष 40% कोर्पस को एन्युइटी के रूप में उपयोग करना होता है। सेवानिवृत्ति पर, आप एकमुश्त राशि, जो कि आपके एनपीएस कोष का अधिकतम 60% है, प्राप्त कर सकते हैं और शेष राशि (कम से कम 40%) वार्षिकी योजना में निवेश की जाएगी। आपके पास वार्षिकी योजना चुनने का विकल्प है। फिर आपको मासिक पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी.

उदाहरण के लिए, यदि किसी सब्सक्राइबर के NPS कोर्पस में Rs.40 लाख जमा हैं, तो वो Rs.24 लाख (60%) को लम्पसम के रूप में निकाल सकता है जबकि Rs.16 लाख (40%) को एन्युइटी के रूप में निकालना होगा,

NPS के नए नियम में अब क्या बदला है?

NPS के नए नियमों के अनुसार , अब आपको अपना lumpsum contribution एकमुश्त निकलने की कोई आवश्यकता नहीं, अब आप lumpsum के अंश को annuity अंश के साथ installment के रूप में निकाल सकते हैं, जो मासिक, तिमाही, आधे-वार्षिक और वार्षिक हो सकता है।

उपर्युक्त केस में, Rs.24 लाख के लम्पसम अंश को Rs.16 लाख के एन्युइटी के अंश के साथ installment के रूप में निकाला जा सकता है।

NPS के नए नियम के क्या फायदे होंगे?

NPS के नए नियम के अनुसार आप Systemetic Withdrawal को चुनकर नियमित रूप से आय प्राप्त कर सकते हैं । इस प्रकार, सब्सक्राइबर्स अब न केवल अपने अपने 40% annuity कोर्पस को नियमित रूप से आय प्राप्त के लिए उपयोग कर सकते हैं बल्कि वे 60 % के lumpsum portion का उपयोग भी निर्धारित आय उत्पन्न करने के लिए कर सकते हैं। इस प्रकार आप अपनी नियमित रूप से मिलने वाली आय को 2.5 गुना बढ़ा सकते है

दूसरा लाभ यह है किसब्सक्राइबर्स संवेदनशील बाजार के समय रिटायरमेंट पर नकारात्मक प्रभाव से बच सकते हैं। लम्पसम मोड को चुनने पर, बाजार कि स्थिति ख़राब होने की दशा में उन्हें कम लाभ लेकर ही संतुष्ट होना पड़ता था लेकिन यदि कोई व्यक्ति इसे lumpsum न लेकर इसे ज्यादा समय में इन्सटॉलमेंट के रूप में ले तो उसे एक नकारात्मक बाजार के प्रभाव से बचाव हो सकता है।

यहाँ इस बात पर ध्यान देना आवश्यक है कि 60% lumpsum आय पूरी तरह से करमुक्त है जबकि annuity आय पर निवेशक के कर स्लैब के अनुसार कर देना पड़ता है ।